Akshay Bhargav
Abstract
पहले उपर वाला
किताब लेकर बैठता था
इसलिए हिसाब अगले
जन्म में होता था।
लेकीन अब
संभलकर चलना
संभलकर बोलना
क्योंकी वो भी
लॅपटॉप लेकर बैठता है।
इसलिए हिसाब इसी
जन्म में हो जाता है।
हिसाब
कर्म
पीढ़ियों की ये सीढ़ी है परदादा बाबा ने जोड़ी है। पीढ़ियों की ये सीढ़ी है परदादा बाबा ने जोड़ी है।
रिश्ते की दरार में आसानी से तीसरे ने जगह बनाई रिश्ते की दरार में आसानी से तीसरे ने जगह बनाई
यही है किरण रोशनी की। मुकम्मल कहां होती है जिंदगी..... यही है किरण रोशनी की। मुकम्मल कहां होती है जिंदगी.....
संबंधों की हत्या क्यों कर दी मेरे यार। संबंधों की हत्या क्यों कर दी मेरे यार।
पाओगे मंदिर की दीवारों पर आज भी उत्कीर्ण मेरे अवशेष॥ पाओगे मंदिर की दीवारों पर आज भी उत्कीर्ण मेरे अवशेष॥
मैं तुम्हारे गुज़रे कल का टुकड़ा हूँ.. मुझे हाल में रखोगे क्या ? मैं तुम्हारे गुज़रे कल का टुकड़ा हूँ.. मुझे हाल में रखोगे क्या ?
हाँ, थोड़ा पति से दूर रहने की कसक मन में जरूर उठती, पर फिर सोचती रोज तो यहीं रहना कभी क हाँ, थोड़ा पति से दूर रहने की कसक मन में जरूर उठती, पर फिर सोचती रोज तो यहीं र...
परेशानियों के कई छोर भी हैं। हताशा लिए वो कई और भी है। परेशानियों के कई छोर भी हैं। हताशा लिए वो कई और भी है।
रहती है दिनभर सांझा करती हैं अपनी भीड़ के अनकहे किस्से ......... रहती है दिनभर सांझा करती हैं अपनी भीड़ के अनकहे किस्से .........
नहीं जताती अहसान और पानी भी शांत चित्त से देता है नाव का साथ बेशर्त हर एक सफ़र में. नहीं जताती अहसान और पानी भी शांत चित्त से देता है नाव का साथ बेशर्त हर ...
जीवन बन जाए खूबसूरत गज़ल। मन का रेडियो बजता जब जब... जीवन बन जाए खूबसूरत गज़ल। मन का रेडियो बजता जब जब...
मंजिलें मिलती है उनको जिनको होता है अपने कर्मों पर विश्वास अटल। मंजिलें मिलती है उनको जिनको होता है अपने कर्मों पर विश्वास अटल।
तुझे दूर से ही माता का सम्मान देकर हम खुश हो रहे हैं। तुझे दूर से ही माता का सम्मान देकर हम खुश हो रहे हैं।
ईश्वर से बड़ा ना कोई दाता, वह रखता है सबका खाता। ईश्वर से बड़ा ना कोई दाता, वह रखता है सबका खाता।
फिर भी न माने मुझे छेड़ने से तुम, अंतिम तूफान फिर मेरा ही होगा। फिर भी न माने मुझे छेड़ने से तुम, अंतिम तूफान फिर मेरा ही होगा।
जैसे एक बच्चा मिलता है मां से जन्म लेने के बाद हम भी देख पाएंगे अपने भगवान को जीवन उपर जैसे एक बच्चा मिलता है मां से जन्म लेने के बाद हम भी देख पाएंगे अपने भगवान को...
बह निकली आँखों से आज नीर की झड़ी मुझे विदा करने साजन की नाव है खड़ी। बह निकली आँखों से आज नीर की झड़ी मुझे विदा करने साजन की नाव है खड़ी।
ऐसी प्यारी गंगा नदी का चित्र हम सबके मन भाता है, सपनों में ही इस यात्रा से दिल प्रसन्न ऐसी प्यारी गंगा नदी का चित्र हम सबके मन भाता है, सपनों में ही इस यात्रा से दि...
कहीं किसी ने पढ़ लिया तो रुसवा ना हो जाये जिंदगी कहीं किसी ने पढ़ लिया तो रुसवा ना हो जाये जिंदगी
मैं तो चाहता हूँ अपनी खुशी, और यही आरजू है मेरी। मैं तो चाहता हूँ अपनी खुशी, और यही आरजू है मेरी।