हिंदी प्रतिस्पर्धा नहीं उत्सव
हिंदी प्रतिस्पर्धा नहीं उत्सव


हिंदी दिवस का उत्सव आया,
मेरेेेे मन को बड़ा हर्षाया।
आओ मिलकर करें गुणगान ,
हिंदी का हम बढ़ाएं मान।
मौसी, बुआ को भी दो सम्मान,
पर सबसेेेे पहले माँ मान ।
हिंदी के लिए हम करें प्रयास,
क्योंकि हिंदी है ,हम सबकी खास।
हिंदी को बोलें ,हिंदी को जाने ,
हिंदी को अपना सर्वस्व माने।
गर्व सेेेेे करें ,हम इसका गुणगान ,
यही तो हमारे भारत की शान ।
न बननेेेेे दें इसे तुच्छ और हीन,
न बनाएँ अपने ही घर में इसेे दीन।
साथ मिलकर जब करेंगे गान,
तभी खड़ी होगी हमारी हिंदी ,सीना तान।
इस हिंदी दिवस पर करें हम प्रण,
हिंदी है हम ,हिंदी है हमारा तन -मन -धन।