STORYMIRROR

गुरूर 

गुरूर 

1 min
13.3K


आसमान की सैर कर, 

घर पहुँचा वो तैर कर,

चालीस साल की दूरी का,

गुरूर था उसे अमीरी का,

 

आहट पर न आँखें थी,

सूनी सारी बातें थी,

हैरानी में डूब गया वो,

तन्हा काहे छोड़ गया वो,  

 

बूढ़ी आँखें खोल न पाया, 

पैसों ने न साथ निभाया,

अश्रु की फिर नदी बहाई,

साँसे पर वापस न आई ||  

  


Rate this content
Log in

More hindi poem from Diwakar Pokhriyal

Similar hindi poem from Inspirational