गुरू
गुरू
गुरूदेव तुम्हारे चरणों में,
बसे हैं चारो धाम।
नमन मेरा स्वीकार करो,
कोटि तुम्हें प्रणाम।
मात पिता है प्रथम गुरूजी,
चलना हमें सिखाया।
सर्दी गर्मी और बरखा में,
छत्र की छाँव बिठाया।
कभी न पूरा ऋण ये होगा,
सुबह से लेकर शाम।
नमन मेरा स्वीकार करो,
कोटि तुम्हें प्रणाम।
शिक्षा दीक्षा दान करे हैं,
सत्य मार्ग दिखलाया।
पाप पुण्य भेद सारे,
गुरूवर ने है बताया।
धर्म कर्म और नीति नियम,
भरे हैं आठो याम।
नमन मेरा स्वीकार करो,
कोटि तुम्हें प्रणाम।
हमको देने नित रोशनी,
बनकर दीपक जल रहे
कितनी भी आए बाधाएँ,
ढाल सम है डटे रहे
चरणों में है तेरे झुके,
राम कृष्ण सुखधाम
नमन मेरा स्वीकार करो,
कोटि तुम्हें प्रणाम।
आशीष सदा बनायें रखना,
दिनकर की अरदास।
बनकर मेरी प्रेरणा,
रहना सदा मेरे पास।
कारज कोई भी हो पहले,
जपूँ मैं तेरा नाम।
नमन मेरा स्वीकार करो,
कोटि तुम्हें प्रणाम।