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Shuvranshu Sekhar Sahoo

Inspirational

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Shuvranshu Sekhar Sahoo

Inspirational

एक तिनका

एक तिनका

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मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ

एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा

आ अचानक दूर से उड़ता हुआ

एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।


मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा

लाल होकर आँख भी दुखने लगीं

मूंठ देने लोग कपड़े की लगे

ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी।


जब किसी ढब से निकल तिनका गया

तब 'समझ' ने यो मुझे ताने दिए

ऐंठता तू किसलिए इतना रहा

एक तिनका है बहुत तेरे लिए।


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