एक फ़रियाद
एक फ़रियाद


मेरी एक फ़रियाद है तुझसे कि
तूने अपने बारे में क्यों सबको बताया
तेरे नाम पे भाई ने भाई को मार खाया मेरी
तू है कि नहीं मैं यह नहीं जानता।
पर बाहर निकल के देखा
हर आदमी है तुझे मानता
तेरे नाम पर इंसान बन गया है अहंकारी
सामने वाले की खुशियों से ज्यादा
तेरी हिफाज़त को समझता है।
अपनी ज़िम्मेदारी तेरे नाम पर होती है
इतनी लड़ाई जबकि किसी ने
देखी भी नहीं तेरी परछाई
लड़ रहे लोग पिट
रहे लोग
सिर्फ तेरे नाम पर जब
माँ से पूछा कि यह सही है कि नहीं।
तो बोली कि जय जय राम कर
जय जय राम कर जय जय राम कर
यही सुनकर बड़ा हुआ हूँ मैं
इसी तरह हिन्दू बनने को मजबूर हुआ हूँ मैं
तू है कि नहीं ये मैं नहीं जानता।
तब भी समाज के डर से अपनी आवाज़ दबाये
हुए तुझे मानता सिर्फ नुकसान है तेरे अस्तित्व का
फायदा मुझे मिला नहीं
ईश्वर अल्लाह नदारद
सब ढूँढा पर कोई तो मुझे मिला नहीं।