एक खत तेरे नाम
एक खत तेरे नाम
तू आसमान का उजाला तारा
मैं धरती की धूल
ना मिल सकेेंगे हम कभी भी
ये खत ही है हम दोनों
बीच में पुल।
ना जला पाता ,ना फाड सका
ना ब़हाया नदी केे धार मेें
लिखा हुँ जो प्रेेम कविता
दिल के कोरे पन्नों मेें
पता नहीं अब कब होगा
हमारे प्यार का सबेरा
इस हवा के अलावा
और कौन हमारा सहाारा।
मिले तो खत पढ़ लेना
जो ना लिख पाया
आज तक इन हाथों से
दफनाया जो प्यार दिल मैं
बेहता आसूँँ मेरे आँखों से।
