एक ख़ुशी के लिए
एक ख़ुशी के लिए
नदिया कोई बहकर ही पहुंचेगी साहिल पर,
फिर खूबसूरत कोई झरना फूटेगा
तुझे ढूंढ़ने को अपनी राह बदल लूँ तो क्या है,
जब ये साथ तो मिलकर ही छूटेगा
दिनभर जलकर रौशनी देकर,
चाँद को उसकी चांदनी देकर,
फिर शाम को ये सूरज डूबेगा
तेरी एक ख़ुशी के लिए थोड़ा अभी जल लूँ तो क्या है,
जब दिल तुझे तो जलकर ही भूलेगा
शमा के दिल में ही घर बनाकर
फिर परवाना अपनी जान से रूठेगा
तुझे भूलने से पहले तुझे जान लूँ तो क्या है,
जब दिल तो दिल से मिलकर ही टूटेगा।

