एक कदम बढ़ा, शुरुआत तो कर
एक कदम बढ़ा, शुरुआत तो कर
प्रयास ये कुछ क्षण भर का
इतिहास सदेव तेरा जीवंत रहेगा
तू चल बस शिखर को देख कर
हसीन सफ़र ये तेरे साथ रहेगा
ना डर तू गिरने से क्यूँ
मन तेरा ये विचलित होता है
माट्टी पर गिर कर ही तो
बीज नव वटवृक्ष बनता है
देखे थे जो तूने सपने
अब तू उनका पीछा कर
भावों को अपने सिमटा कर
हदों को अपनी खींचा कर
बीती बातों को मिटा कर तू
नए सपनों से बात तो कर
मंजिल तो एक दिन मिल ही जाएगी
तू एक कदम बढ़ा शुरुआत तो कर।