एक जमाना
एक जमाना
एक जमाना था
जहाॅं ना कुछ कमाना था
ना कुछ गवाना था।
ना बीते कल का गम
ना आनेवाले कल की फिकर
बस आज मे खुश थे होके बेखबर।
कोई नृत्यकार, तो कोई संगीतकार
उस जमाने मे था हर कोई कलाकार।
किसी के हाथ पैर नहीं रुकते थे
तो किसी की आवाज़
सिर्फ शक्तिमान ही नहीं
उस जमाने मे था हर कोई जाबांज।
उस जमाने मे थे सवाल कई
पर आज भी उन सवालों के जवाब ही नहीं।
मुझे लगाव है उस जमाने से
जहां ना थी किसी चीज़ की कमी
मुझे लगाव है उस पल से भी
जब उस जमाने को याद करके आती है आँखो मे नमी।
खुश नसीब हैं वो लोग जो उस जमाने से ही
माँ बाप के साथ होकर भी मजबूर हैं
बदनसीबों मे होती हैं हमारी भी गिनती
क्योंकि उस जमाने से हम अपने माँ बाप से दूर हैं।
शुक्र हैं इसी बहाने माँ बाप की जल्दी याद तो नहीं आती
पर याद आती है उस जमाने की
जहाँ माँ बाप का प्यार, मिला हर बार
जितना चाहो उतनी बार।
जी हाँ! बेशक... आप उस जमाने को बचपन कह सकते हैं।