STORYMIRROR

एक अधूरी ख्वाहिश

एक अधूरी ख्वाहिश

1 min
462


मेरा इक अधूरी ख़्वाहिश को

पूरा करने का मन करता है

बिखर गये तस्वीर के सारे संग,

इस तस्वीर मे नये रंग भरने को मन करता है।


महका दूँ हर ज़र्रा जर्रा,

मेरा इत्र हो जाने का मन करता है

बुझ गये जिनकी दहलीज़ से उम्मीद के दीये,

उन दीयों को फिर से जलाने का मन करता है।


सम्भाल रखा है जिसने दर्द सालों से,

मेरा वो गम उधार लेने का मन करता है

भटक रहे हैं राह मे कई,

मेरा राहगीर हो जाने का मन करता है।


मुरझे न फूल इस चमन का कोई,

मेरा छाँव हो जाने का मन करता है

न कर सके जिम्मेदारियां जो पूरी,

उनका बोझ अपने सर लेने का मन करता है।


मैं पुतला हूं उस ख़ुदा का,

मेरा इंसान बनने का मन करता है

बीत गया वक़्त न जाने कैसे

मुझे समय का पहिया फिर घुमाने का मन करता है

मेरा इक अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने का मन करता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational