परिवार
परिवार
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सारे वादे पूरे हो ज़रूरी तो नहीं
लाखों सितारे आसमान के घर में
हर रोज़ गोद में तारे हो जरूरी तो नहीं
सागर से उठी हर लहर दौड़ती है
हर लहर के किनारे हो जरूरी तो नहीं
रेत पर खिंची लकीरें कुछ कहती है,
खामोशी के सहारे हो ज़रूरी तो नहीं
सुलगती रात में, नींद हो
और ख्वाब हो जरूरी तो नहीं
रो देता है वक्त अमावस को,
देख हाल चाँद का
हर रात अमावस हो जरूरी तो नहीं
हर किसी का परिवार हो जरूरी तो नहीं
जलती है चिता इक नन्ही नयी जान को
हर चिता के नसीब में श्मशान हो जरूरी तो नहीं
लड़ रहे हैं इक दूजे से सभी
इस सफ़र में फिर मुलाकात हो ज़रूरी तो नहीं