दुख में जीना आ जाता है
दुख में जीना आ जाता है
सब परिस्थितियों का गुलाम है
जैसा कहती है वैसा करना पड़ता है
दुख में भी जीना आ जाता है
सुख में भी बेचैनी रहती है
जब पसीने की बूंद गिरती जमीं पर
तब हिम्मत को बल मिलता है
जब ठोकर लगता है गिरता हूं तो
रास्ता अच्छे से चलना आ जाता है
दुख में भी जीना आ जाता है
सुख में भी बेचैनी रहती है
टीस जब दिल में रहरहकर उठे तो
दिल और भी मजबूत बन जाता है
दुख में भी जीना आ जाता है
सुख में भी बेचैनी रहती है
सपने जब कल्पनाएं लगे तो
इस कल्पनाओं को हकीकत में
बदलने का गुर आ जाता है
दुख में भी जीना आ जाता है
सुख में भी बेचैनी रहती है
आसमान में उड़ते - उड़तेे
जब भी गिरता हूं जमीन पर
हौसलों का पंख लगाकर
उड़कर दूर तलक
पहुंचना आ जाता है
दुःख में भी जीना आ जाता हैं
सुख में भी बेचैनी रहती है।
