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Kiran Pingat

Abstract

3  

Kiran Pingat

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दर्द

दर्द

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दिल परेशान है तेरे बगैर 

जिन्दगी बेजान है तेरे बगैर 


लौट आ फिर से मेरे हमदम

सब कुछ वीरान है तेरे बगैर 


रात की नींद दिन का सुकून 

आना कहा आसान है तेरे बगैर 

 

फिरते रहते पागलो की

तरह इधर से उधर


लगता नहीं दिल बहुत

नुकसान है तेरे बगैर।


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