दिल का दर्द
दिल का दर्द
कहता था इसलिए न कर इश्क इस कदर किसी से।
कि साँस के हर पहलू में कश्म-कश हो खुद से।।
कभी समझे खफा है हमसे,
सोचे कभी क्या हुई खता हमसे।
एकलफ्ज ने मेरे ज़िन्दगी को सवाल बना दिया,
ऐ सवाल न कर मेरे दीवानगी कि नैन सहित अंधा बना दिया।।
रही हर साँस में जिसकी आरज़ू,
हर पल में जिसकी जुस्तजू।
वो पास न आये हमारे,
कि हम अपने धड़कनों से करते रह गए गुफ़्तगू।
कश्ती है महताब सी,
छीन लिए जाती है जिंदगी।
कह कर तेरी यह तकदीर नही,
चली है मुझ ही पर मुस्कुरा यह ज़िन्दगी।।
