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Md. Faiz

Tragedy

4.5  

Md. Faiz

Tragedy

दहेज उत्पीड़न

दहेज उत्पीड़न

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वो अपने बाप कि शान थी

वो माँ के लिए जन्नत का आसमान थी

तुमने एक बार ना सोचा उसे मारने से पहले

वो अपने भाई कि जान थी


वो रही होगी पैसों से मजबूर

उसका बाप हो सकता है रहा हो

कोई गरीब मज़दूर

वो घर छोड़ आयी थी तुम्हें सजाने

तुमने थोड़ी सी लालच मे उसकी

कब्र सजा दी


वो तैयार थी तुम पर हर खुशी

कुर्बान करने को

तुमने अपनी खुशी में उसे ही

क़ुर्बान कर दिया


क्या करोगे ऐसी दौलत का

क्या कफ़न में जेब का हिसाब होगा

या तुम्हारा कफ़न भी पैसों का लिबास होगा


कुछ शर्म का हिसाब कर लो

दौलत दुआओं कि सजाओ

इन कागज़ के पन्नों कि वजह से

ना बेटी किसी कि जलाओ


बस थोड़ा तुम एहसास करो

उसकी खुशी का तुम इकरार करो

वो अपने जान से प्यारे माँ बाप

छोड़ आयी तुम्हारे लिए

उसका दिल खोल सम्मान करो

थोड़ी सी लालच मे ना तुम उसका

अपमान करो

ना तुम उसका बलिदान करो

तुम उसके बलिदान का

दिल खोल सम्मान करो।।



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