दांवपेच
दांवपेच
रफ्ता रफ्ता जिंदगी से
पहचान होने लगी हैं
आजकल बैठे बैठे,
यूं ही शाम होने लगी हैं
रूबरू होने लगे हैं
सफर के दांवपेचों से
चैन खोने लगा हैं और
नींद भी हराम होने लगी हैं।
रफ्ता रफ्ता जिंदगी से
पहचान होने लगी हैं
आजकल बैठे बैठे,
यूं ही शाम होने लगी हैं
रूबरू होने लगे हैं
सफर के दांवपेचों से
चैन खोने लगा हैं और
नींद भी हराम होने लगी हैं।