चली रौंद दुश्मन, ले उनकी सुपारी
चली रौंद दुश्मन, ले उनकी सुपारी
चली रौंद दुश्मन,
ले उनकी सुपारी।
न छेड़ो मुझे तुम,
पड़ूँगी मैं भारी ।
मैं शबनम मैं शोला,
मैं मीठी छुरी हूँ ।
मैं भारत की बेटी,
सभी की दुलारी।
चली रौंद दुश्मन,
ले उनकी सुपारी।
कभी बनती काली,
कभी बनती दुर्गा।
कयामत बनूँ,
शेर मेरी सवारी।
चली रौंद दुश्मन,
ले उनकी सुपारी।
मिटा खौफ़ सारा,
सजा शस्त्र काँधे।
वतन की रखूँ लाज,
सबसे हूँ न्यारी।
चली रौंद दुश्मन,
ले उनकी सुपारी।
