चिंगारी: सच का अहसास
चिंगारी: सच का अहसास
पतंगों को जब नीले गगन में उड़ने के
लिए बहता हवाई रास्ता मिलता है
उड़ते पतंगों की खातिर ही आसमान में
अपनो का सुनहरा आसरा खिलता है
आसरे की डोर भी रास्ते मे जम जाती है
अहसास बनकर निशान बन जाती है
जब मिसाल बन जाती है एक निशानी
फिर उसी के कारवाँ का पर्वत होती है
जीवन मे हकीकत को बदलने के लिए
एक चिंगारी की ही जरुरत होती है।
जब चिंगारी बुझती है, एक परिवार की
दुनिया सिर्फ मरहम लगाती है दीदार की,
कलयुगी आवाज दबती है तो दबने दो
चुप हो कर ऐसे ही जियो और जीने दो
रूह वैसे चाहत पूरी कर के शांत होती है
पर गहरा अहसास हो तो सुशांत होती है।