STORYMIRROR

Jyoti Swami

Abstract

4  

Jyoti Swami

Abstract

छूट

छूट

1 min
473

छूट तो अद्भुत शब्द है जो चाहिए हमें हर हाल में।

चाहे रिश्तेदारी, ग्राहकी, सौदेबाजी और अनुशासन के जाल में।।

कभी थोक के कपड़ो की ढेरी में कभी किराना तोल में।

कभी सब्जी भाजी के भावों में कभी मिठाई मोल में।।


कभी गुरुजी की, तो कभी मां- बापू की डांट और मार में।

छूट तो चाहिए कभी बॉस की तल्खी व कभी काम के बोझ में।।

कभी घर जल्दी जाने में, कभी ऑफिस में देर से आने में।

दोस्तो के साथ छूट चाहिए, सैर सपाटे व मस्ती से लेट आने में।।


डरी सहमी बहु को छूट चाहिए मनचाहा खाने और पहनने में।

सासू मां को छूट चाहिए, गृहकार्य जिम्मेदारी से मुक्ति पाने में।।

बुजुर्गों को छूट चाहिए, अपना कहा सर्वोपरि बनाने में।

बच्चों को छूट चाहिए, होमवर्क से खेल क्रीड़ा और घूमने में।।


गृहणी को घर के निर्णय निवेश और बच्चो के भविष्य बनाने में।

गृहस्वामी को छूट चाहिए, कसे रिश्ते व लगातार की दिनचर्या में।।

उस छूट का अलग मजा है जो कभी सीधे व कभी मिले मांगने में।

छूट एक प्रलोभन भी है जिसमे हम फंस जाते और ललचाने में।।


छूट के तरीके कभी अपने को फायदे तो कभी उलझाते खर्चने में।

इस ज्योति की यही गुजारिश है कभी न फंसे फ्री ऑफर के जंजाले में।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract