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HARSH TRIPATHI

Abstract

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HARSH TRIPATHI

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चौका-बर्तन

चौका-बर्तन

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हड्डी कँपाती ठंड, और इस टपकते कोहरे के बीच,

खुले आसमान के नीचे बैठे, और हाफ स्वेटर पहनकर;

ठंडे पानी से बर्तन माँजती,

गाँव की ये औरतें;

बोलेगा फिर इन्हीं के घरों का कोई मर्द,

कि 'करती ही क्या हो चूल्हा-चौका और बर्तन के सिवा?'



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