STORYMIRROR

Pratibha Mahi

Abstract

4  

Pratibha Mahi

Abstract

चाणक्यनीति संग्राम

चाणक्यनीति संग्राम

2 mins
182

जकड़ी थी जो पाक ने, जन्नत सी जागीर

चाणक्यनीति संग्राम से, पाया वो कश्मीर


 दो हजार उन्नीस में , पाँच अगस्ती शाम

भारत के दो शेर ने, किया अनौखा काम


जिसकी सत्तर साल से, रही प्रतीक्षा रोज

मोदी जी और अमित ने, लिया मार्ग वो खोज


आज सुनाऊँ किस्सा तुमको काश्मीर घाटी का

महके जिसकी वादी वादी जन्नत की उस माटी का


घर बैठे कुछ ग़द्दारों ने उसपर धाक जमाई थी

जन्नत की उस बगिया में आतंकी पौध उगाई थी


370 35 A की हतकड़ियों में कैद किया

आड़ प्रथाओं की ले लेकर हर पल काम अवैध किया


नोंच के बोटी बोटी जन की घर को शमशान बनाते थे

मासूमों के हाथों में आकर हतियार थमाते थे


बच्चे बूढ़े नर नारी सब मौत के भय से डरते थे

हँसना भूल गए थे सारे घुट घुट आहें भरते थे


रचा चक्रव्यूह मोदी जी ने सब आतंकी घेर लिए

रक्षक पहरेदार बना दो लाख सिपाही भेज दिए


मुफ़्ती अब्दुल्ला नज़रबन्द कर कूटनीति अपनायी है

मोदी जी ने हर बन्दे को राहत सी पहुंचायी है


नियम नये कुछ लागू कर अब जन्नत नई बनाई है

सत्तर साल में यारो अब पूरी आज़ादी पाई है


विश्व विजय का सिंह नादकर अदभुत संख बजाया है

अब काश्मीर की वादी को माँ का सरताज बनाया है


भारत माँ दुल्हन सी सजकर देखो सम्मुख आयी है

झूम रहे नर-नारी-बच्चे लहर खुशी की छायी है


अब काश्मीर की घाटी में खुशियों का परचम फहरेगा

घर घर की छत पर यारो अब रोज तिरंगा लहरेगा


आतंकी मनसूबे सारे आज हुए हैं खण्ड खण्ड 

जन जन के ह्रदय से निकला मोदी का जयघोष प्रचण्ड


घाटी का ये चप्पा चप्पा वन्देमातरम बोल रहा

भारत की हुँकारों से अब पाकिस्तान भी डोल रहा


दुनियाँ के नक़्शे से एक दिन नामोनिशां मिटा देंगे

गर गलती से चाल चली तो माटी में दफना देंगे


'माही' का लेखा जोखा जिस दिन करवट बदलेगा

उस दिन यारो दुनिया का ये नक्शा फिर से बदलेगा।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Abstract