बुद्धिजीवियों के बीच
बुद्धिजीवियों के बीच
छिड़ी एक बहस देश के बुद्धिजीवियों के बीच,
कौन है सर्वश्रेष्ठ, कौन तुच्छ चीज़।
किसान बोला, "कर्मभूमि खेत खलिहान,
अनाज उगाना हमारा काम,
पूर जोर होता हमारा शोषण,
फिर भी करते देश का पालन पोषण।"
वकील ने फरमाया, "वाणी को आप दे ज़रा विराम,
हमने दिया है आपको जमीन जहाँन,
समस्या के विरूद्ध की हमने वकालत,
वरना खस्ता होती सबकी हालत।"
अभिनेता कहे, "दुःख वेदना से थे जो अवसाद का शिकार,
सुनी हमने उनके मन की पुकार,
किया मनोरंजन बार बार,
बैठे थे जो जीवन से हार।"
किया जवान ने एक अनुरोध, "जब देश में होता कोई विरोध,
बिगड़ते हालात या होता संजोग,
करते हम प्राणों का बलिदान,
इसलिए हम सर्वोच्च, हम महान।"
चिकित्सक बोले, "पृथ्वी पर ईश्वर का हम स्वरूप,
बदल दे काया-रूप,
ज्ञान से करते हम रोगों का निदान,
हम है देश खा अभिमान।"
इंजीनियर कहते हैं कि,
"ठहरो ! देखो हमारा चमत्कार,
करते हैं हम अविष्कार,
होता जिससे सबका बेड़ा पारा,
इसलिए देश पर हमारा अधिकार।"
राजनेता बोले, "करे न आप बकवास,
चलाते हैं हम सरकार,
करते हम सबका विकास,
फिर होता विश्व में विकास।"
फिर आम आदमी ने भरी एक आह !,
"होगा देश का निर्माण सही,
जब साथ होगें सभी,
न तुम महान, न हम महान,
बस हो कल्याण, राष्ट्र महान।