बस,अब आ जाओ..
बस,अब आ जाओ..


हम कहाँ कह रहे हैं की आप रोज़ आओ,
रोज़ आके हमें यूँही गले लगाओ,
गले लगा के ऐसे अपना बनाओ,
अपना बना के फिर कभी दूर न जाओ,
बस,
बादल बन के बरस जाओ,
खुशनुमा मौसम बन के बस बिखर जाओ,
बारिश की उस पहेली बूंद की तरह हमे
मिल जाओ,
याद तो आपको भी आती होगी हमारी,
तो फिर देर किस बात की कर रहे है आप??
पार कर हर वो आंधी-तूफान,
बस,
अब आ जाओ