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Kusum Lata

Inspirational

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Kusum Lata

Inspirational

बहुत याद आती हो मां ...

बहुत याद आती हो मां ...

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बहुत याद आती हो मां तुम 

मुझे मेरी शादी के बाद,

नही आता मेरे हाथों में 

तेरे हाथों -सा वो स्वाद।।


पर कहती है बिटिया मेरी 

मां तुम खूब पकाती हो,

इतना अच्छा खाना क्या 

नानी से सीखकर आती हो।।


ये सुनकर चुप हो जाती हूं 

मां तुम-सी मैं होने लगी,

हरपल अब एक साए के जैसी 

मां मुझमें तुम रहने लगी।।


मां मुझमें तुम और तुम में मैं

बिल्कुल वैसी दिखती हूं,

जैसे मुझमें मेरी बिटिया 

और उसमें मैं दिखती हूं। 


बेटी की दुनिया से निकलकर 

कितनी आगे मैं बढ़ने लगी,

किसी की पत्नी,भाभी किसी की 

किसी के घर की बहु बनी।।


मां तुमको मैं सामने पाकर 

फिर छोटी हो जाती हूं,

कुछ इतराकर,कुछ इठलाकर 

अपनी जिद मनवाती हूं।।


आज तुमसे सीखकर दुनियादारी 

निभा रही हूं जिम्मेदारी,

सच कहती हूं मेरी मां 

इस दुनिया में सबसे निराली।।


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