बहुत हीं अच्छा लगता था
बहुत हीं अच्छा लगता था
यादें कहां
मरती है
मरता तो यह
तन हीं है
यादों के साए में
जब मैं प्रवेश
करता हूं
मन बाग - बाग
हो जाता है
हरे रंग की
झाड़ी थी
हरे रंग की
साड़ी थी
उसकी
हरे रंग का
सूट भी मेरा
झाड़ी में ऐसे
मिल जाते हैं
हमदोनों
नंगी आंख से
समझ नहीं
कोई पाता था
प्रेम की बातें
मन की बातें
दिल की बातें
दिनभर की बातें
खूब बात मैं
करता था
अच्छा लगता था
बहुत हीं अच्छा
लगता था।