भीग जाता हूं मैं
भीग जाता हूं मैं
मुझे भीगना नहीं,
फिर भी भीग जाता हूं मैं,
तन्हाई में रहता हूं,
न जाने किन किन गलियों से
गुज़र जाता हूं मैं।
इंतज़ार में तेरे घड़ी की
सुइओं को चुभ जाता हूं मैं
शोर भरी दुनिया में
गुमसुम खो जाता हूं मैं।
मंदिर, मस्जिद कहाँ
कहाँ नहीं भटका,
हर दुआ में तुझे ही
मांग आता हूं मैं।
फिर बस तस्वीर से
तेरी शिकायत करके,
चुपचाप कोने मे बैठ के
रो जाता हूं मैं।

