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भाव

भाव

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आत्मा में उतर गए

वह शब्द, वो भाव

जो तू ने उतारे,

मेरे मन के कागज़ पर

अपने प्रेम की स्याही से।


एक एक शब्द जैसे,

मोती जड़ा है

प्रेम के मधुर -मधुर

रस में पगा है

रस की उसी नदी में

हम बह गए।


आत्मा में...

लहू से जैसे,

स्याही बनी है।

प्रेम में सारे,

कागज़ सने हैं।

आत्मा में बस गए ,

तुम ही तुम देखो।

तुमसे ही देखो

हम तो संवर गए

आत्मा में उतर गए

वो शब्द, वो भाव



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