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KAVY KUSUM SAHITYA

Abstract

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KAVY KUSUM SAHITYA

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भारतीय वायु वीर

भारतीय वायु वीर

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रिश्तो में द्वेष दम्भ घृणा का जब होता संचार              

मर जाती मानवता कायर कुटिल मानव रिश्ता संसार।     

झूठ, छलावा, प्रपंच दिखावा शक्ति, समर्थ का व्यवहार   

रक्त की होली मातम ही मर्यादा जानवर बन जाता इंसान। 


विवाद की वेदी पर राष्ट्र समाज की 

बर्बादी का प्रतिदिन होता नंगा नाच               

खुद ही मरता मारता जन्नत की चाहत

की जमी जन्नत श्मशान कब्रिस्तान।


धर्म कोइ भी नहीं सिखाता नृशंश मौत के तांडव से

भयाक्रांत रहे खुद खुदा और उसकी कायनात रहे। 

जब पड़ोस का राष्ट्र पडोसी

रिश्तों को करता तार तार शर्मशार

तरुण युवा को पथ्थर पकड़ता जबकि चाहिए

उसे विद्या का मंदिर और किताब।        


नहीं जानता इंसानियत भोले भाले इंसानों को

धर्म नफ़रत बदले की मौत का इस्लाम बताता     

अमन चैन के दिल सांसों धड़कन

को उग्र उग्रता उग्रवाद सिखाता


तब इंसान ही इंसानो का कातिल बन जाता।

पुलबामा कायरता की क्रूरता धोखा,

नीचता की फितरत का फितूर                

दानवी कृत्य का जघन्यतम का इस्लाम              


आज़ाद मुल्क भारत के स्वाभिमान पर

आतंकवाद की काली छाया का आत्म घात।

हर शहीद हिंदुस्तानी का लहू पुलबामा के जर्रे जर्रे में मिल   

माँ भारती के दूध के क़र्ज़ फ़र्ज़ में निरीह मर

मिटने पर राष्ट्र समाज से मांग रहा था हिसाब।   


पुलबामा के शहीद हर जवान के

लहू की कण कण की यही पुकार                 

मैंने तो सीमाओं की रक्षा की सौंगंध निभायी           

तिरंगा ना झुकने दिया तिरंगे को

राष्ट्र स्वाभिमान में कफ़न बनायी।

बस अफसोस यही भारत माता के सपूत हम            


दृढ़ता, धीरता ,साहस ,शक्ति के शात्र,

संस्कृति ,संस्कार के जवान

धूर्तता, कायरता में मिट कर

राष्ट्र को दिया गौरव गरिमा मान !

पुलबामा की कायरता बर्बरता से भारतवासी के

सीने में प्रतिशोध की धधकती ज्वाला          


बूढ़ा, बच्चा, नारी, बेटी, बाला,

नौजवान बदले का अंगार बना।

हर शहीद जवान के कुर्बानी के जज्बे की धार बना     

पुलबामा के शहीदों का कतरा कतरा भारत की

मिट्टी में मिल काल ,कराल, विकराल ,महाकाल बना।


जब तक कायरता की बर्बरता से उग्र,

उग्रबाद के रक्त से अर्पण तर्पण से

पुलबामा के शहीदों का अभिशेख नहीं

तब तक उनके बलिदानो का शौर्य सूर्य उदय नहीं होगा।


कायरता ,क्रूरता, दुष्ट ,दानवता के छद्म

युद्ध के दमन का हर भारतवासी          

प्रतिशोध क्रोध का रौद्र रूद्र

काल कहर महाकाल विकट विकराल।               

नर में नरेंद्र संग भारतवासी

प्रतिशोध की ज्वाला का नारायण


आत्म बोध का साथ धन्य

धनोया की हुंकार पांचजन्य का शंख नाद।

गांडीव प्रत्यंचा से निकले आसमान में

पथ विजय की गूँज गर्जना के मिराज        

इक्कीस पल में उग्र उग्रता के

चमन का कर डाला संघार    


चहु और अन्धेरा चूहे जैसे

बचने उग्रता भगति दौड़ती खोजती पनाह।

हर तरफ जीवन की उमीदों का हाहाकार            

पुलबामा के हर शहीद का रक्त का कण कण बारूद बना

उगरीस्तान का का बालाकोट कब्रिस्तान बना!!


चीखें, चिल्लाहाट ,कायरता के क्रंदन को

अल्लाह हो अकबर का सुनने से इंकार           

बोल उठा खुद खुदा तुम मेरी नफ़रत के

भी नाकाबिल कैसे सुनु तेरी फ़रियाद।


दोजख भी नहीं मिलेगा तुझको तू खुद खुदा का कातिल है

जिसने बक्सा इंसानियत ईमान का इस्लाम               

तू नापाक इरादा बहसि दरिंदा तेरा यही हिसाब।

भारत के जाबांजो के सिंह शेर इरादों ने बाज़ पंख पावाज़ों ने


दानवता की मंडी को बना दिया शमशान            

बालाकोट के कुरु क्षेत्र में दुश्मन खोज रहा था            

मरने वालों की बोटी बोटी ले जाने को कब्रिस्तान।

वहशी और दरिंदों का ना कोइ मज़हब ना कोइ दींन ईमान

 दुश्मन है ये कायनात के, इंसान इंसानियत के             


उग्र ,उग्रता ,उग्रबाद का ना कोइ रिश्ता नाता

ना कोइ जज्बा जज्बात ये खौफ खंजर के शैतान।

इनकी बुनियाद मिटाओ इंसानियत के दुशमन दुष्ट दानव मिटाओ               

दुनिया अमन, चैन के दिल दामन सांसों,

धड़कन की खुशबू फूलो की फुलवारी              

लम्हा, लम्हा चमन बहार सत्य सार्थक इंसा

अल्ला कृष्णा का गीता और कुरान !      


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