बेटी
बेटी
हर चीज को जो संजोती थी... वो मेरी बेटी थी
जो हर दुःख भी मुझसे छुपाती थी,
हर ग़म में भी मुस्कुराती थी.... ऐसी मेरी बेटी थी।
एक आवाज़ से जो पास आ जाये, वो रातों को कहाँ सोती थी।
उसके होने से घर मेरा मुकम्मल था....
मुझे आज तक नहीं पता.. रहता कहाँ मेरा कम्बल था?
उसके होने से घर मेरा मुकम्मल था ....!
