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Monika Kapur

Inspirational

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Monika Kapur

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बढ़ पथिक

बढ़ पथिक

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अथाह मुश्किलों से लड़ ,

अनेकों बाधा झेल कर।

चला है जो तू अनवरत ,

बिना रुके हुए, सतत ।

तो आज ठौर भी, सुनो,

प्रतीक्षारत तेरे लिए ।

है खुद को ही बुहारता,

वो कंटकों भरा सा पथ।

ना कोई भय, बाधा कोई,

जो तेरे प्रण को तोड़ दे ।

तू हिमगिरि सा है अडिग,

थमेगा ना, तू ले शपथ।

भले न कोई संग चले,

ना पीठ थपथपाएगा ।

तू अपनी पीठ को ठोक कर,

बाधा कदम, निडर, अथक।



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