बचपन
बचपन
इक कोने में दिल के
तू आज भी रहता है
गलियारा है इक लम्बा सा
उस कोने तक, जो पहुँचता है
है अनगिनत झरोखे,
उस गलियारे में, जो खुलते है
खट्टी मीठी यादो के लम्हे
उन झरोखो से झाँकते हुए मिलते हैं
उन यादो की खुशबू से
पूरा गलियारा महकता है
रोज़ गुजरती हूँ, उस गलियारे से
जिसमे मेरा बचपन चहकता है
है ये वादा मेरा तुझसे,ऐ मेरे बचपन
कभी तुझे खुद से जुदा न होने दूँगी
जब तक है साँसे मुझमें
बच्ची बन तुझे जीती रहूंगी।
