STORYMIRROR

Prerana Parasnis

Others

3  

Prerana Parasnis

Others

होली

होली

1 min
207

उड़ा उड़ा रे अबीर गुलाल

सतरंगी हुआ रे आसमान

लाल हरे नीले पीले 

फ़िज़ा में बिखरे रंग चटकीले 


फागुन ऋतु आयी 

और पलाश के फूल मुस्कुराये 

रंग बन, चेहरों पर कितने खिलखिलाए


प्रफुल्लित हुई है आज धरा भी 

नवयौवना का रूप पाकर 

प्रकृति का कण कण उल्लसित हुआ है

नव ऊर्जा नवचेतना का गीत गाकर 


बरस रही है चहूं ओर

खुशियों की फुहार 

ढोल ताशों के संग आया 

होली का त्यौहार


भुला कर सारे गीले शिकवे 

आज तन मन प्रेम रंग से रंग ले 

उतर जाएगा गुलाल रंग

पर प्रेम रंग कभी न उतरे



Rate this content
Log in