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Author Devika

Inspirational

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Author Devika

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बारिश

बारिश

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बारिश की बूँदें बरसती हैं, मानो हज़ार सवाल पूछती हैं ।

क्यों बन रहा है इंसान दानव, खो रहा सीधा सुलझा मानव।

अन्याय के खिलाफ हाथ मिलाना, झिझकती विडंबना को अब है मिटाना।

प्रेम का रस जीवन में फैलाना, ज़िन्दगी का प्यारा गीत है गाना। 

लक्ष्य में अगर आये कोई अड़चन, भय या क्रोध में न हो कभी मन ।

दृढ़ता से मिलेगा अवश्य कोई रास्ता, सुलझाने जीवन की हर समस्या।

दुःख तब भी थे, हैं, और आएंगे।

जीवन का लय न तोड़ पाएंगे ।

धरती को बनाना सुन्दर - यह है प्रण।

मानव जाति को साक्षात नमन।


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