बारिश आई छम छम छम
बारिश आई छम छम छम
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बन के मोरनी आज मैं नाचूँ बारिश आई छम छम छम
तन भी झूमे मन भी झूमे
बूँदों से बजती सरगम
याद आ रहा आज वो बचपन कजरी पटरी झूले रे
गाते थे सब मीठे तराने आज वो हम क्यों भूले रे
ठंडी पवन के झोंके आए बदरी चमके चम चम चम
काली घटा घनघोर हैं छाई पुरवा चले मध्यम मध्यम
नदियां सागर खाए हिलोरे
हरे-भरे हैं सब उपवन
बादर घन-घन शोर मचाएँ बरसें बूँदें झम झम झम
ओढ़ के चुनर इंद्रधनुष की अंबर दिख रहा सुंदरतम
छाई धरा पर आज जवानी कर रहा उसको शीतलतम ।।
देखकर ऐसी छटा निराली हर्षित हो रहा मेरा मन
तन भी झूमे मन भी झूमे आज जमीं पर नहीं कदम ।।
बन कर मोरनी आज मैं नाचूँ बारिश आई छम छम छम
तन भी झूमे मन भी झूमे
बूँदों से बजती सरगम ।।