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Shikha Sharma

Inspirational

4.8  

Shikha Sharma

Inspirational

बाधाएं या अवसर ?

बाधाएं या अवसर ?

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जीवन-पथ की बाधाओं से, हो अचंभित वह नवयुवक

लगा सवाल करने खुद से, कहाँ भूल हुई पथ पर


मिला नहीं जवाब और विघ्न-बाधाएं घिरने लगीं

संघर्ष के उमड़ते बादलो से, हिम्मत की परीक्षा होने लगी


जीवन होता था सहज, पर ये बदलाव कैसा आया

क्या थी भूल जो ये संघर्ष, बिन बताये यूं चल आया


हो नत-मस्तक श्री चरणों में, लगा ध्यान श्री चरणों पर

पूछा क्या वजह बाधाओं की, क्यों नहीं देते आसान सफ़र


सुन पुकार उस नवयुवक की, प्रभु देखे मुस्कुरा के

बोले बाधाएं दुर्भाग्य नहीं, ये अवसर हैं काल के


सुन प्रभु वचन समझ न आया, ये अवसर किस रूप में

करो कृपा हरि मुझ बालक पर, हटाओ अज्ञान इस चित्त से


कर उपकार उस नवयुवक पर, दिया अमर-ज्ञान जीवन का

बोले प्रभु तू स्वच्छ ह्रदय से, सामना कर बाधाओं का


रख विचार नेक, साफ़ मन रख, हिंसा न कर विचारों से

कर सामना उन बाधाओं का पर हिंसा न कर भावनाओं से


आत्म-उन्नति के मार्ग पर, होगा तू प्रशस्त इससे

जीवन-पर्यन्त यह कर पाया तो, आत्मा-उन्नति होगी इससे


'आत्मा-उन्नति' सुन थम गया युवक, बात ठीक से समझ न आई

पुनः प्रभु पर ध्यान लगाकर, बोला समझाओ यह वाणी


शुद्ध मन से ही उन्नति संभव, शुद्ध मन ही से कल्याण

होगा उद्धार उस जीव का, चेतना होगी जिसकी विशाल


आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग की, बाधाएं होंगी निर्बल

दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति संभव, और जीव का कल्याण प्रबल


अमर-ज्ञान प्राप्ति के फल-स्वरुप, युवक हुआ भाव-विभोर

रोम-रोम में हरि बसें, किया प्रणाम चहुं ओर


मार्ग-दर्शन की प्राप्ति पर, मानो लक्ष्य एक पूर्ण हुआ

शुभ-विचार और शुद्ध मन से, आत्म-कल्याण का मार्ग प्रशस्त हुआ


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