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अटल जी तुम कहाँ गए

अटल जी तुम कहाँ गए

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जिंदगी है दो पल की

ये तो सब जानते है

दो पल जिंदगी जानते भी

कौन समर्पित करता है ?


बदनसीब है हमलोग सब

भैस के तरह जिते है

खुशनसीब है वो जो

काल से भी जीत लेते है


जिंदगी का असली स्वाद

स्वार्थियों को नही मिलता

निःस्वार्थ देश सेबक है जो

देश के लिए वो मर मिटता


अटल जी तुम कहाँ गए

हम लोगों को छोड कर

तुम्हारे बिना सूना जीवन

देश भी आज घोर अंधेरा पर


आज भी याद है तुम्हारी कविता

जो हमे प्रेरणा देती है

उस प्रेरणा को लेकर हम

तुम्हारे राह पर चलते हैं


है कवि ,भावुक ,देश नायक

तुमको शत शत नमन

तुम्हारी आत्मा को शांति मिले

प्रभु से यह निवेदन


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