अश्क आँखों में
अश्क आँखों में


अश्क आँखों में, लबों पर हँसी होगी
हमने कब सोचा था, ज़िन्दगी ऐसी होगी
ख़िज़ाँ का दौर है, फिर भी ये हौसला देखो
मौसम ए गुल में, कोई बात तो रही होगी।
उम्र ग़ुज़री है, वस्ल ए यार के तस्सवुर में
अब भी बिखरा नहीं, कोई तो तिश्नगी होगी
सुर्ख चेहरा है, पर उम्मीद अभी क़ायम है
आग की लौ ज़रूर राख में दबी होगी।
क़तरा क़तरा जो, इन आँखों पे सजा रखा है
शीरा ए इश्क़ है, ये बात लाज़मी होगी
तुम न समझो भ्रम इन फसलों का, अरसों का
आखरी सांस पे भी होगी, बंदगी होगी।