अपेक्षा आपसे
अपेक्षा आपसे
चाहे मत पूजो मुझे
मत देवी सा मान दो
मैं भी इंसान हूँ
इतना समझ लो
यही सम्मान दो।।
सीता, सावित्री, दुर्गा, पार्वती
और भी न जाने कितने ही
दे देते हो उपनाम यूँ ही मुझे
मुझे तो बस मेरे नाम की ही
पहचान बनाने दो, पहचान बनाने दो।
नहीं किसी से मुकाबला मेरा,
नहीं किसी से मेरी होड़ है।
मुझे तो बस अपने पंख फैला लेने दो
मुझे मेरे हिस्से का आस्मां छू लेने दो
मेरी इच्छाएं मेरे स्वपन मेरे भी अरमान हैं,
मत बांधो मुझे किसी भी एक रूप में,
पानी सा बह कोई भी रूप ले लेने दो।
समझे जो अबला, कमजोर नारी को
नजर का नहीं, नजरिए का दोष है।
बल से नहीं, हौंसलों से पाई जाती है मंजिल।
आज हर क्षेत्र में अपना परचम
फहराती, समझाती कहती
नारी की पहचान है, नारी की पहचान है
बढाऊं जो कदम मैं नयी मंजिल की ओर,
जो साथ मेरा तुम दे न सको,
हौसला मेरा बढ़ा ना सको।
तो पीछे से रुक जाओ,
आवाज भी मत दो,
आवाज भी मत दो।
