ADITYA PRAKASH

Abstract Inspirational

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ADITYA PRAKASH

Abstract Inspirational

अंतिम यात्रा

अंतिम यात्रा

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था नींद में और फिर भी नहलाया जा रहा था मैं,

बड़े प्यार से अंतिम बार इतना सजाया जा रहा था मैं।


जो मुझे कभी देखते भी न थे मोहब्बत से, 

आज उनके द्वारा भी खूब प्यार लुटाया जा रहा था ।


न जाने वो कौन सा अजब खेल चल रहा था मेरे घर में,

ठीक छोटे बच्चों की तरह कंधों पर उठाया जा रहा था मैं ।


था मेरे पास हर अपना उस वक़्त,

फिर भी न जाने अपने घर से हीं निकाला जा रहा था मैं ।


न जाने हर कोई हैरान क्यों था मुझे सोता देखकर,

ज़ोर - ज़ोर से रोकर ,मार पीट कर जगाया जा रहा था मैं ।


आख़िर कांप उठी मेरी रूह भी वो मंजर देख कर,

जहां अंतिम बार हमेशा के लिए सुलाया था रहा था मैं ।


मोहब्बत की इन्तहा थी जिनके दिलों में मेरे लिए,

आज आख़िरकार उन्हीं के हाथों जलाया जा रहा था मैं ।


और अंतिम बार दुःख तो तब हुआ मुझे,

जब जलाकर वो अपने हीं पूछने लगे,

अब कितनी देर में पूरी तरह जल जाऊंगा मैं ।


जिन लोगों की खातिर अपना सब कुछ लुटा दिया मैंने,

आज उनके लिए पूरी तरह बेगाना हो गया मैं।


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