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Atreya Dande

Abstract Others

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Atreya Dande

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अख़बार

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आता हूं तुम्हारी चौखट पर

बड़े सुबह सवेरे

पड़ा रहता हूं दरवाज़े पर

या फिर किसी कोने में


दिन का पहला 

अतिथि हूं मैं

हर घर से जुड़ा

अव्यक्त सदस्य हूं मैं


आज दो बातें

मैं भी कर लूं तुमसे

घर के हर उम्र की

कहानी बुनवाऊँ तुमसे


तुम्हारे बचपन की

पहली नाव हूं मैं

स्कूल की किताब पर 

चढ़ा पहला कवर भी हूं मैं


दादाजी का क्रॉसवर्ड

पिताजी की बड़ी खबर

माताजी का इश्तिहार

दादीजी का पापड़ अचार हूं मैं


बहन की सहेली

भाई का खेल समाचार

कभी बड़े ठाट से

पड़ोसियों का मेहमान हूं मैं


मुझपर गोंदी स्याही

बताती है हालात सभी

चित्र रंगीन, मामला संगीन

साझा करती हैं हकीक़त नई


मैं तो, कभी जैसे खुला आसमां

फैल जाता हूं टेबल पर

देखते हैं लोग मुझे

पलट पलट कर


चाय अक्सर मिलती है मुझसे

बातें हरदम किया करती हैं

धीरे धीरे, वो चुस्कियों में छिप जाती है

और मैं सोफे पर सिकुड़ जाता हूं


दिन ढलते

अलमारी के सिरहाने

बिछ जाता हूं

खबरों को समेटे हुए


रात आते आते

सो जाता हूं

फिर इक नई सुबह

की उमंग में..


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