ऐ अजनबी
ऐ अजनबी
मैं चल रहा हूँ तुझसे दूर ले जाती
राह पर बढ़ रहा हूँ
तेरी ओर बढ़ते क़दमों में
हिचकिचाहट महसूस होने लगी है
हार कर खुद्से ये नाता
तोड़ रहा हूँ तुझ से
ऐ अजनबी, मैं तेरे पास अपना
एक साथी छोड़ रहा हूँ
इंतज़ार करता रहा मैं तेरे आने का,
पर अब वक़्त है मेरे चले जाने का
नम तकिये पर अब और नींद नहीं आती
खिलखिलाती हँसी भी छलकती
आँखों को नहीं रोक पाती
तेरी शिकायतों के साये ने
मेरा अस्तित्व मिटा दिया
अपनी तलाश में खुद से
नाता जोड़ रहा हूँ
ऐ अजनबी
मैं तेरे पास अपना साथी छोड़ रहा हूँ
ना जीत तेरी ना हार मेरी,
है वक़्त की सब हेरा फेरी
कल जो मेरा था आज वो तेरा है
ना संभाल पाया मैं जिसे, तू ना खोना उसे
भूलूंगा ना जो कुछ तूने सिखाया
है बस वही जो अब तक ज़िंदगी में कमाया
हार कर खुद्से ये नाता तोड़ रहा हूँ तुझद से
ऐ अजनबी, मैं तेरे पास अपना साथी छोड़ रहा हूँ।