अहंकारी फूल
अहंकारी फूल
बोल उठा फूल लेकर अंगड़ाई,
ऐ डाल तेरी कोई न करे बड़ाई,
जो आये बगिया में, नजरें मुझपे गड़ाए,
छूए मुझे प्यार से, तुझे दुश्मन-सा हटाए।
खुशबू का मालिक मैं, हूँ सबका प्यारा;
धूल के टुकड़े तुझ पर, कोई न तेरा सहारा;
सुन कर बोली डाल, तू क्यों इतना इतराए;
मैंने ही तुझको ये, दिन हैं दिखाएI
पाया जो मैंने इस जग से, दिया है तुझको;
तेरे इन बोलों ने, शरमिंदा किया है मुझको;
तेरे मेरे बीच का रिश्ता कमजोर अब नजर आता है,
बेकार है तुझे समझाना,अभिमानी कब सुधर पाता हैI
फूल ना माना करता रहा गुणगान अपना,
भूल डाल का त्याग रहा याद अभिमान अपना,
आया हवा का तेज झोंका, फूल डाल से गिर गया;
पल में गिर धरा पर, अनाथ-सा बिखर गयाI
हुई बारिश जोर की, उससे फूल का हाल बुरा था;
उधर डाल पर लगा हर फूल निखरा-निखरा था,
रुकी बरखा, आया एक राजकुमार बगीचे में घूमने;
दबा जमीं के फूल को, डाल के फूल को लगा चूमनेI
नीचे पड़े फूल को एहसास अब आता था,
जननी थी मेरी डाल, उसी से मैं भाता था;
इधर फूल के मरने की खबर आई,
उधर डाल नई कली उतर आईI
