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Krishh Biswal

Inspirational

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Krishh Biswal

Inspirational

आज़ादी के परवानों का सम्मान करो

आज़ादी के परवानों का सम्मान करो

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युग बदल गया और फ़िर चरखे का चक्र चला,

फ़िर काला शासन ढकने चला श्वेत खादी।।

खूंखार शासको की खूनी तलवारों से,

बापू ने हंसकर मांगी अपनी आजादी।।


जो चरण चल पड़े आजादी की राहों पर,

वो रुके न क्षणभर, धुप,धुआं,अंगारों से,

उठ गया तिरंगा एक बार जिसके कर में,

वो झुका न तिल भर गोली की बौछारों से।।


इसीलिए ध्वजा पर पुष्प चढाने से पहले,

तुम शीश चढ़ने वालों का सम्मान करो II

आरती सजाने से पहले तुम इसीलिए,

आजादी के परवानो का सम्मान करो……


कितने बिस्मिल, आजाद सरीखे सेनानी,

इस पुण्य पर्व से पहले ही बलिदान हुए।।

जब अवध और झाँसी पे थे गोले बरसे,

तो मन्दिर, मस्जिद साथ- साथ वीरान हुए।।


जलियांबाग में जिनका नरसंहार हुआ,

वो इसी तिरंगे को फहराने आए थे।।

जिनके प्रदीप बुझ गए गए अधूरी पूजा में,

वो इसी निशा में ज्योत जलाने आए थे।।


तलवार उठाने से पहले तुम इसीलिए

मिट जाने वालों का गौरव गान करो ||

आरती सजाने से पहले तुम इसीलिए,

आजादी के परवानो का सम्मान करो……


दलितों को मिला स्वराज्य इसी स्वर्णिम क्षण में, 

सदियों से खोया भारत ने गौरव पाया।।

कट गयी इसी दिन माँ की लौह श्रृंखलाएं, 

पीड़ित जनता ने फ़िर से सिंहांसन पाया।।


१५ अगस्त है नेता जी का मधुर स्वप्न,

बापू के अमर दीप की गायक वीणा है।।

अंधियारे भारत का ये है सौभाग्य सूर्य, 

माँ के माथे का सुंदर श्याम नगीना है।।


इसलिए आज मन्दिर जाने से पहले,

तुम राष्ट्र ध्वज के नीचे जन गन गान करो।।

आरती सजाने से पहले तुम इसीलिए,

आजादी के परवानो का सम्मान करो।


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