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SUMAN KUMARI

Abstract

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SUMAN KUMARI

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आशा

आशा

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आशा छोटी हो या बड़ी,

कितनी है रेखा रूप में

जिसका आधार शायद कल्पना है

या जुनून,पता नहीं

लेकिन जब भी खींचती है

तो मिटा देती है मेरे आवेग को

जो विकृत हो कुत्सित हो गया था

फिर थोड़ी देर बाद

जगाती है मुझे मुझ में

मेरे खूने पाने वाले भविष्य में।



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