वह कुछ ही लोग हैं
वह कुछ ही लोग हैं
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वह कुछ ही लोग हैं
वह कुछ ही लोग हैं,
जिन्हें मैं कुछ भी कह पाता हूं
या उन्हें अपना हक जताने देता हूं
क्योंकि
पलकों के साए में
मैं उन्हें हमेशा
अपने पास पाता हूं।
और अब मुसीबतों के पहाड़ों ने
मुझे इस कदर झकझोर दिया
कि अब मैं
उनसे मिलूँ भी तो
मिल नहीं पाता हूं।
हां मुझे पता है,
शम्मा जलते समय,
कीट-पतंगों की अवधि
छोटी रह जाती है।
क्योंकि प्यारे की पिक से मिलने,
उसके मध्य;
जाना ही पड़ता है।
और तभी पता चलता है
मोती कितने प्यारे और कह रहे हैं
लेकिन सवेरे के आलोक में
कहना मुमकिन नहीं होता
क्योंकि वह मुझ पर,
मैं उन पर
अपना हक जताता हूं।

