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Pushpa Devi

Abstract

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Pushpa Devi

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आलस

आलस

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"लालच कहीं आलस में रह गए ll

 लोग इसी कशमकश में रह गए ll


 खत कभी तुम तक नहीं पंहुचे, 

 अरमान सारे कागज में रह गए ll


 खूंखार जंगल में छोड़ दिए गए, 

 भोले-भाले शरकस में रह गए ll


 चूजे अंडे के भीतर सुरक्षित हैं, 

 नाजुक थे तो कवच में रह गए ll


पापी तो धुल गए मगर सारे पाप, 

तीरथ में रह गए, हज में रह गए ll"


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