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आज चुनाव, कल चुनाव

आज चुनाव, कल चुनाव

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आज चुनाव, कल चुनाव,

यहाँ चुनाव, वहाँ चुनाव,

चुनावों की रेलमपेल है,

मुद्दों की ठेलम ठेल है।


चुनावों का सजा बाजार है,

मीडिया का तो यही व्यापार है,

नेताओं की जय जय कार है,

चुनाव आता जाता रविवार है।


जहाँ आज नहीं है,

वहां शायद कल एक चुनाव होगा,

जहाँ हुआ अभी था,

वहाँ कल फिर एक चुनाव होगा।


जीत जाओ तो जीत है,

हार जाओ तो भी तो जीत है,

चुनाव की यही तो रीत है।


जीत गए तो बनोगे मंत्री,

हारोगे तो भी बनोगे मंत्री,

जनता भी कितनी भोली भाली है,

चुनाव के लिए तो हर दम खाली है।


जब चाहे चुनाव करा लो,

मजा आए तो दो बार करा लो,

न मजा आए तो तीन बार करा लो,

जितनी चाहे उतनी बार करा लो,

चुनाव के लिए भी चुनाव करा लो।


चुनाव कब हों,

इसके लिए भी चुनाव करा लो,

चुनाव कौन लड़ेगा, कौन जीतेगा,

कौन हारेगा सब के लिए।


चुनाव करा लो,

जनता एक दम खाली है,

कितनी भोली भाली है।


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