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Sheetal Dubey

Comedy Drama

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Sheetal Dubey

Comedy Drama

आएगा एक दिन भी ऐसा...

आएगा एक दिन भी ऐसा...

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आएगा एक दिन भी ऐसा 

सोचा नहीं कभी किसी ने ऐसा।

घर में रहो,

घर में रहो,

और घर में ही रहो,

बन जाएगा संगीत जैसा।

पिताजी हमारे गाते गाने बिना कोई धुन सुहाने,

मां कहती अब बस भी करो,

कोई नहीं सुनना चाहता तुम्हारे ये गाने।

पर पिताजी तो पिताजी ठहरे,

एक नहीं सुनने वाले बस गाए जा रहे ये खुदी से गाने। 


वहीं हमारे चाचाजी,

जो थमते नहीं सफ़ाई करते,

"क्योंकि कोरोना को जो हराना है।"

मैं और मां खेल रहे है लूडो,

जैसे खेला करते थे बचपन में। 

बस फर्क इतना है,

तब वहीं था हमारा खेल,

पर आज कोई और नहीं है चारा।

कुछ अपना सा है ये,

खट्टा मीठा इमली जैसा।

ऐसी ही बीत रही है,

परिवार संग लॉकडाउन,

जो ना मांगा था ना कभी जाना। 



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