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Madhura Ghalke

Inspirational

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Madhura Ghalke

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आदिशक्ती

आदिशक्ती

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मानते हो कि तुम वो एक शक्ती है 

देवालय में पूजा करते हुए 

उसके सामने सिर झुकाये 

वो एक आदिशक्ती है 

लक्ष्मीपूजन बिना बताये तो करते हो ,

धन- धान्य पूजन भी , 

सरस्वती पूजा दशहरे की

नौ दिन दुर्गा पूजन भी 

जन्म के बाद पहला दर्शन  

पूजन करके देवी की 

घरप्रवेश करते हुए 

होती आरती लक्ष्मी की 

जन्म देनेवाली वो संतान लक्ष्मी 

हर घर की वो महालक्ष्मी 

रूप उसका एक ,नाम बस अनेक 

कभी ऐश्वर्या , कभी धान्यलक्ष्मी 

कभी वीर तो कभी विजयालक्ष्मी 

जन्म देनेवाली वो संतान लक्ष्मी 

संहार करनेवाली रावण का 

लक्ष्मी वो , माँ दुर्गा देवी 

पूजास्थान में ही क्यों वो बंदी बनी हुई ?

स्त्री का रूप ही तो है वो 

क्यों फिर तुम कमजोर हो?

सिर झुकानेवाले वो घर की ही लक्ष्मी का करते अनादर

कयों ना तुम बन काली माँ संहार कर स्वाभिमान से आदर 

न चाहकर भी अपने सपने कुचला दिये 

कर्तव्य समज, जिम्मेदारी का बोझ लिये 

गर्भ के बिना जन्म था मुश्किल 

यातना भोग सिर्फ तूने ,भूल गई

गोदी में लेके एक स्माईल 

हक़ बनता है तेरा पेहला

संस्कार की भाषा सिखाने का 

भटक जाये वो , सही रास्ता दिखानेका

देवालय या घर हो 

घर घर की है वो लक्ष्मी

तू सिर्फ बन खडे 

धारण कर "आदिशक्ती! "




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